साना-साना हाथ जोड़ि पाठ में प्रकृति की जल-संचय व्यवस्था का उल्लेख
है। वह क्या है? वर्तमान जल-संकट से उबरने के लिए हम क्या-क्या प्रयास
कर सकते है ?
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प्रकृति ने जल संचय की बड़ी अदभुत व्यवस्था की है। वह सर्दियों में पर्वत शिखरों पर बर्फ़ के रूप में जल को एकत्र करके भंडारण करती है। हिममंडित पर्वतशिखर जल स्तम्भ के समान है, जो गर्मियों में जलधारा प्रवाहित करके करोड़ों लोगों की प्यास बुझाते हैं। नदियों के रूप में बहती यह जलधारा अपने किनारे बसे नगर, गांवों में जल संसाधन के रूप में तथा नहरों के द्वारा एक विस्तृत क्षेत्र में सिंचाई करती है और अंततः सागर में जाकर मिल जाती है।
सागर से जल - वाष्प बादल के रूप में उड़ते हैं, जो मैदानों क्षेत्रों में वर्षा और पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फ़ के रूप में बरसते हैं। इस प्रकार जलचक्र द्वारा प्रकृति ने जल संचयन और वितरण की व्यवस्था कर रखी है।
infamous97:
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