सुनि सुनि ऊधव की अकह कहानी कान,
कोऊ थहरानी कोऊ थानहिं थिरानी हैं।
कहैं 'रत्नाकर' रिसानी, बररानी कोऊ,
कोऊ बिलखानी, विकलानी, बिथकानी हैं।
कोऊ सेद-सानी, कोऊ भरि दृग पानी रहीं,
कोऊ घूमि-घूमि परीं भूमि मुरझानी हैं।
कोऊ स्याम-स्याम कह बहकि बिललानी कोऊ,
कोमल करेजो थामि सहमि सुखानी हैं।
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सुनि सुनि ऊधव की अकथ कहानी कान / जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
कोऊ थहरानी, कोऊ थानहिं थिरानी हैं । कहै रतनाकर रिसानी बररानी कोऊ, कोऊ बिलखानी, बिकलानी बिथकानी हैं ॥ कोऊ घूमि-घूमि परीं भूमि मुरझानी हैं ।Mar 2, 2010
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