१५.सुनीता ने अपने सपने कैसे साकार किए?
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उनके अधूरे सपने को साकार करने के लिए भारतीय मूल की अमरीकी
अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स सामने आईं। सुनीता के पिता श्री दीपक पांड्या,
भारत के गुजरात राज्य से संबंध रखते हैं। सुनीता अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर कदम
रखने वाली पहली भारतीय महिला हैं। सुनीता ने स्पेस मैराथन का रिकॉर्ड बनाने के साथ-साथ
अंतरिक्ष प्रयोगशाला में ऐसे कई परीक्षण भी किए, जो भावी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए लाभदायक सिद्ध
होंगे। सुनीता ने इस साहसिक अभियान में रुचि दिखाकर यह प्रमाणित कर दिया कि महिलाएँ भी पुरुषों से
किसी तरह कम नहीं, वे बड़े से बड़े लक्ष्य को साकार करने का साहस रखती हैं।
2-अहमदाबाद : भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम
एक बार फिर रविवार 15 जुलाय 2012 को सुबह 8.10 पर कजाकिस्तान के बैकानूर
कास्मोड्रोम से एक रूसी अंतरिक्ष यान से दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस)
के लिए रवाना हुईं,और अगले दो दिन में अपने पडाव में पहंच जायेंगे।बतौर महिला अंतरिक्ष यात्री, उनके
नाम सर्वाधिक समय अंतरिक्ष में बिताने का रिकार्ड दर्ज हैं। वह अंतरिक्ष में कुल 195 दिन बिता चुकी हैं। और
इस समय सुनीता चार महीने तक अंतरिक्ष में रहेंगी। सुनीता अपने साथ मेढक और मछली ले गईं हैं। इन जीवों
को अंतरिक्ष में रखा जाएगा ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि वहां जीव किस तरह जिंदा रह सकते हैं।
यह मिशन नवंबर में खत्म होगा।
3-नासा के अनुसार`सोयूज टीएमए-05 एम` अंतरिक्ष यान में सुनीता के
साथ रूसी संघीय अंतरिक्ष एजेंसी के फ्लाइट इंजीनियर यूरी मालेन्चें और जापान
के अंतरिक्ष अन्वेषण एजेंसी के अकिहिको होशिदे भी यात्रा पर साथ हैं। सुनीता एक्सपेडिसन
-32 के चालक दल में एक फ्लाइट इंजीनियर के तौर पर गई हैं और अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद
एक्सपेडिसन-33 की कमांडर होंगी। इस अत्यधिक व्यस्त अभियान के दौरान सुनीता और उनके सहयोगी
दो बार अंतरिक्ष में चहलकदमी करेंगे और कई वैज्ञानिक अनुसंधान करेंगे।इस मिशन पर जाने से पूर्व सुनीता
ने कहा कि-इस मिशन की सफलता के लिए में पूर्णतःआश्वान्वित हूं।
4-दुनिया के लोग सुनीता की पेशेगत उपलब्धियों के बारे में ज्यादा दिलचस्पी
रखते हैं, लेकिन उनका निजी जीवन भी खुशियों से भरा-पूरा है। सुनीता ने वर्ष
1995 में फ्लोरिडा इन्स्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातकोत्तर की डिग्री ली।
5-उल्लेखनीय है कि सुनीता के पिता डॉक्टर दीपक पांड्या वर्ष 1957 में
गुजरात विश्वविद्यालय से एमडी की डिग्री लेने के बाद अहमदाबाद से अमेरिका चले गए थे।
6-कल्पना चावला के रूप में जो अपूर्णीय क्षति हुई थी, उसे तो कोई नहीं
भर सकता किंतु सुनीता की वापसी से उन घावों पर मरहम अवश्य लग जाएगा।
कल्पना के परिजनों की आँखों में बेटी को खोने का गम तो है ही किंतु सुनीता बेटी
की सकुशल वापसी के लिए ईश्वर से प्रार्थना भी कर रहे हैं।
7-हमें यह भी देखना होगा कि कल्पना चावला की यात्रा के समय पहले से ही
गडवडी होने की सम्भावना जताई जा रही थी,और अन्ततः अन्होनी को कोई न टाल
सका। और इस बीच इन सारे दोषों को दूर करने का प्रयास किया गया। इस यान में गडवडी
की कम सम्भावनाएं बताई जा रही हैं।