Hindi, asked by ushukla8818, 1 month ago

सृन्दर सृष्टि ,÷ सृन्दर हमेशा ही बलिदान खोजती है बलिदान ईंट का हो था व्यक्ति का•

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Answered by jenwahlang533
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Answer:

प्रारम्भिक शिक्षा आरा (बिहार) में हुई। फिर १९२१ से कलकत्ता में पत्रकारिता आरम्भ की। 1924 में लखनऊ में प्रेमचंद के साथ 'माधुरी' का सम्पादन किया। 1926 से 1933 तक काशी में प्रवास और पत्रकारिता तथा लेखन। 1934 से 1939 तक पुस्तक भंडार, लहेरिया सराय में सम्पादन-कार्य किया। 1939 से 1949 तक राजेंद्र कॉलेज, छपरा में हिंदी के प्राध्यापक रहे। 1950 से 1959 तक पटना में बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् के निदेशक रहे। 1962 में भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा दी. लिट्. की मानद उपाधि।

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