Hindi, asked by dsinghmehlay, 20 hours ago

सुनो वह पुस्तक मुझे दो । क्या बगीचा सुंदर है? अब बैठकर पढो। पनिम्न वाक्यों के अर्थ के आधार पर भेद बताएं​

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Answered by nitishbhu555
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Answer:

जुदा थे हम तो मयस्सर थीं कुर्बतें कितनी,

वहम हुए तो पड़ी हैं जुदाइयाँ क्या-क्या।

ग़म-ए-जहां हो, रुख़-ए-यार हो, कि दस्त-ए-अदू,

सुलूक जिस से किया हमने आशिक़ाना किया।

अब अपना इख़्तियार है चाहे जहाँ चलें,

रहबर से अपनी राह जुदा कर चुके हैं हम।

और भी गम है जमाने में मुहब्बत के सिवा,

राहतें और भी है वस्ल की राहत के सिवा।

कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी,

सुनते थे कि वो आयेंगे सुनते थे सहर होगी।

कहाँ तक सुनेगी रात कहाँ तक सुनायें हम,

शिकवे सरे-शब आज तेरे रूबरू करें।

तू जो मिल जाये तो तक़दीर निगूँ हो जाये,

यूँ न था मैने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाये।

ये अजब क़यामतें हैं तेरी रहगुजर में गुजरी,

न हो कि मर मिटें हम न हो कि जी उठें हम।

गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले,

चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले।

लौट जाती है उधर को भी नजर क्या कीजे,

अब भी दिलकश है तेरा हुस्न मगर क्या कीजे।

उठ कर तो आ गए हैं तिरी बज़्म से मगर,

कुछ दिल ही जानता है कि किस दिल से आए हैं।

फिर नजर में फूल महके दिल में फिर शम्में जलीं,

फिर तसव्वुर ने लिया उस बज़्म में जाने का नाम।

तेरी आमद से घटती उम्र जहाँ में सब की,

फैज़ ने लिखी है यह नज़्म निराले ढब की।

रात यूँ दिल में तेरी खोई हुई याद आई,

जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाये,

जैसे सहराओं में हौले से चले बादे-नसीम,

जैसे बीमार को बेवजह करार आ जाये।

मैंने समझा था कि तू है तो दरख़्शां है हयात,

तेरा ग़म है तो ग़मे-दहर का झगड़ा क्या है,

तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात,

तेरी आँखों के सिवा दुनिया मे रक्खा क्या है।

- via bkb.ai/shayari

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