Hindi, asked by avanichatuvedi2248, 10 hours ago

सािान्यतया ग्राहकों की सोच क्या होती है ?

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Answered by liyanayazminhussain
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Answer:

जैसी मनुष्य की सोच होती है, वैसा ही उसका व्यक्तित्व होता है। तभी तो कामना की गई है कि मेरा मन शुभ संकल्प वाला हो। मन संकल्प और विकल्प से परिपूर्ण है। उसमें परस्पर विरोधी भाव उत्पन्न होते रहते हैं। मन में अच्छे विचार आते हैं, तो बुरे विचार भी आते हैं। बुरे विचार आते हैं, तो उसमें विरोधी विचार यानी अच्छे विचार भी अवश्य उत्पन्न होते हैं। मन में उठने वाले विचारों पर नियंत्रण कर हम जीवन को मनचाहा आकार दे सकते हैं।

जैसा भाव या विचार वैसा ही जीवन। अच्छे विचारों का चयन कर जीवन को उन्नत और बुरे विचारों का चयन कर जीवन को अवनत किया जा सकता है। प्राय: कहा जाता है कि पुरुषार्थ से ही कार्य सिद्ध होते हैं। मन की इच्छा से नहीं। बिल्कुल ठीक बात है, लेकिन मनुष्य पुरुषार्थ कब करता है और किसे कहते हैं पुरुषार्थ? पहली बात तो यह है कि इच्छा के बगैर पुरुषार्थ भी असंभव है। मनुष्य में पुरुषार्थ करने की इच्छा भी किसी न किसी भाव से ही उत्पन्न होती है और भाव मन द्वारा उत्पन्न और संचालित होते हैं। इसलिए सकारात्मक विचार ही पुरुषार्थ को संभव बनाता है। पुरुषार्थ के लिए उत्प्रेरक तत्व मन ही है। कई व्यक्तितथाकथित पुरुषार्थ तो करते हैं, फिर भी सफलता से कोसों दूर रहते हैं। लक्ष्य-प्राप्ति पुरुषार्थ पर नहीं मन की इच्छा पर निर्भर है। कालिदास कहते हैं कि मनोरथ के लिए कुछ भी अगम्य नहीं है। इच्छाएं ही हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। सफलता प्रदान करने में सकारात्मक इच्छाएं कारगर साबित होती हैं। वस्तुत: जैसी आपकी इच्छाएं होंगी वैसा परिणाम।

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