सुनकर
बोली और और
कठपुतलियाँ
कि हाँ,
बहुत दिन हुए
हमें अपने मन के छंद छुए।
Q) इस पद्यांश द्वारा कवि क्या कहना चाह रहे हैं?
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बोली और और
कठपुतलियाँ
कि हाँ,
बहुत दिन हुए
हमें अपने मन के छंद छुए
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