सुनकर या पढ़कर अस्वाद की जाने वाली रचना को क्या कहते हैं
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ज्ञानेन्द्रियाँ मनुष्य के वे अंग है जो देखने, सुनने, महसूस करने, स्वाद-ताप-रंग अदि का पता लगाते हैं। मानव शरीर में त्वचा, आँख, कान, नाक और जिव्हा आदि पाँच प्रकार की ज्ञानेन्द्रियाँ होती है। त्वचा महसूस करने का, आँखे देखने का, कान सुनने का, नाक गंध का पता लगाने का और जिह्वा स्वाद को परखने का काम करती है।
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