सांप कविता में अज्ञेय का केंद्रीय भाव स्पष्ट करें
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अज्ञेय जी द्वारा रचित सांप मुक्तक काव्य नगरों में रहने वाले सभ्य कहलाने वाले व्यक्तियों पर एक तीखा व्यंग्य है। ... कवि का विचार है कि सभ्य समाज में अनेक ऐसे लोग हैं जो सर्प से भी अधिक विषधारी हैं, और वे समाज में ऐसा विष फैलाते हैं जिसका कोई इलाज नहीं है।
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