साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं' - यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?
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उत्तर :
इस कथन से स्पष्ट होता है कि घटना के समय लेखक पूरी तरह से बदहवास था। चिट्ठियों के कुएं में गिरते ही लेखक का ध्यान ढेले की ओर से हट गया था। उसे सिर्फ कुएं में गिरती चिट्टियां ही दिखाई दे रही थी। ढेले का कुएं में गिरना, सांप को लगना या न लगना, सांप का फुफंकारना या न फुफंकारना इन सबका उसे ध्यान न रहा।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
Đïķšhä:
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⭐⭐⭐⭐✔✔✔✔✔
HI FRD HERE UR ANS ...
....⬆️⬆️⬆️⬆️⬆️⬆️⬆️⬆️
यह घटना १९०८ में घटी थी और लेखक ने इसे अपनी माँ को १९१५ में सात साल बाद बताया था। उन्होंने इसे लिखा तो और भी बाद में होगा।
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अतः उन्हें पूरी घटना का स्मरण नहीं।लेखक ने जब ढेला उठाकर कुएँ में साँप पर फेंका तब टोपी में रखी चिट्ठियाँ कुएँ में गिर गई। यह देखकर दोनों भाई घबरा गए और रोने लगे।
i hope help u jiii
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