संप्रेषण केवल सुनने और उत्तर देने के बारे में है।
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संप्रेषण केवल सुनने और उत्तर देने के बारे में है।
ये कथन पूर्णतः सही नही है।
संप्रेषण के अनेक प्रकार होते हैं, जैसे मौखिक संप्रेषण, लिखित संप्रेषण, सांकेतिक संप्रेषण, प्रतीकात्मक संप्रेषण। इसलिए संप्रेषण केवल बोलने या सुनने के बारे में नहीं है, बल्कि यह विचारों के आदान-प्रदान करने के विषय में है, सूचना के आदान प्रदान करने के विषय में है। इसलिये संप्रेषण, आवश्यक नही कि केवल बोलकर या सुनकर किया जाये।
संप्रेषण का वास्तविक अर्थ है, सूचनाओं का आदान-प्रदान। दो या दो से अधिक पक्षों के बीच सूचना के आदान-प्रदान की प्रक्रिया संप्रेषण कहलाती है। संप्रेषण की प्रक्रिया में एक पक्ष द्वारा सूचना भेजी जाती और दूसरे पक्ष द्वारा सूचना प्राप्त की जाती है। यदि आवश्यक हो तो दूसरा पक्ष उसका उत्तर देता है। एक प्रभावी संप्रेषण के लिये एक पक्ष का सफलता पूर्वक सूचना भेजना और दूसरे तक उस सूचना का पहुँचना आवश्यक है।
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संप्रेषण केवल सुनने अथवा उत्तर देने के बारे में नहीं होता।
संप्रेषण केवल सुनने अथवा उत्तर देने के बारे में नहीं होता।संप्रेषण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच मौखिक , लिखित,सांकेतिक या प्रतिकात्मक माध्यम से विचार एवं सूचनाओं के प्रेषण की प्रक्रिया है।
•संप्रेषण में पहला पक्ष ( संदेश भेजने वाला) तथा दूसरा प्रेषक ( संदेश प्राप्त करने वाला ) होता है।
• संप्रेषण उसी समय पूर्ण होता है जब संदेश मिल जाता तथा उसकी स्वीकृति अथवा प्रत्युत्तर मिल जाता है।