संप्रदान कारक के 3 उदाहरण दो
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विकास ने तुषार को गाडी दी। मैं हिमालय को जा रहा हूँ। रमेश मेरे लिए कोई उपहार लाया है। साहिल ब्राह्मण को दान देता है।
संप्रदान कारक- 'संप्रदान' का तात्पर्य है 'देना'। अर्थात् वाक्य में जिसके लिए कुछ किया जाए या जिसे कुछ दिया जाए। वाक्य में संज्ञा के जिस उद्देश्य के लिए वाक्य की क्रिया घटित होती है वह संप्रदान कारक कहलाती है। “संज्ञा व सर्वनाम के जिस रूप से कुछ दिए जाने या किसी के लिए कुछ किए जाने की क्रिया का बोध हो, उसे संप्रदान कारक कहते हैं। " संप्रदान कारक के विभक्ति चिह्न (परसर्ग) हैं- के लिए, को, क वास्ते, हेतु, के निमित्त, के अर्थ आदि।
• मानवी ने विराट को पुस्तक भेंट की।
• सूरज संध्या के लिए गाउन लाया।
• अर्णव ने खुशी के निमित्त साड़ी खरीदी।
• दादी ने बालिका वधु के वास्ते वर ढूँढ़ा।
• राष्ट्र हित हेतु हमेशा तैयार रहो।
अधिक जानकारी :-
कारक का शाब्दिक अर्थ होता है क्रिया को करने वाला वाक्य में क्रिया को संपन्न कराने में उनके संज्ञा शब्दों की अपनी भूमिका होती है इन संज्ञा शब्दों के क्रिया शब्दों के साथ उनके तरह-तरह के संबंध होते हैं इन संबंधों को व्यक्त करने वाले व्याकरणिक प्रत्यय को कारक के नाम से जाना जाता है संज्ञा के वाक्य में प्रयुक्त होकर अलग-अलग कार्य पूरे करते हैं इन कार्यों को करने वाले कार्की होते हैं जय श्री राम ने रावण को बाण से मारा इस वाक्य ने मारा किया है इस मारा क्रिया को पूरा करने में यह तीन संख्याएं राम रावण बाण का योग हो रहा है राम वाक्य में क्रिया को करने वाला करता है रावण करम है जिसमें राम करता है एवं बाण क्रिया एवं को संपन्न करने का साधन है यहां ने कर्ता कारक को कर्म कारक एवं श्री करण कारक विभक्ति है यह तीन ही संज्ञा शब्दों का क्रिया के संबंध एवं कार्य-कारण शब्दों को व्यक्त करता है