सांप्रदायिक सद्भाव पर दो मित्रों के बीच संवाद
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सांप्रदायिक सद्भाव पर दो मित्रों के बीच संवाद
अमन : रमन, तुमने सुना ही बगल वाली कॉलोनी में दो समुदायों के बीच झड़प हो गई और इस घटना ने सांप्रदायिक रंग ले लिया।
रमन : हाँ अमन, मैंने सुना है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने किसी मस्जिद के आगे कोई अभद्र हरकत कर दी। इससे एक समुदाय के लोग भड़क गए और फिर असामाजिक तत्वों को दूसरे समुदाय का समझकर उस समुदाय के लोगों पर पत्थरबाजी करने लगे। बदले में वहां से भी पत्थरबाजी हुई और इस घटना ने गंभीर रूप ले लिया। अब वहां कर्फ्यू लगा है।
अमन : हाँ, लेकिन अब स्थिति नियंत्रण में है। पुलिस और सुरक्षा बलों ने सब कुछ नियंत्रित कर लिया है, वहाँ अब शांति है।
रमन : हमारा समाज यह किस ओर जा रहा है? हम जरा-जरा सी बात पर आपस में झगड़े करने लगते हैं। एक दूसरे के धर्म पर आरोप लगाने शुरू कर देते हैं।
अमन : हाँ, यही सही बात है। हम सब को सांप्रदायिक सद्भाव से रहना चाहिए। सब धर्म एक हैं। कोई धर्म बड़ा-छोटा नहीं होता। एक दूसरे के धर्मों का आदर करना चाहिए और एक दूसरे के त्यौहार और रीति-रिवाजों और संस्कृतियों का भी सम्मान करना चाहिये। आखिर सबकी मंजिल एक ही है, उस परमपिता ईश्वर की प्राप्ति।
रमन : तुम सही कह रहे हो। समाज में सांप्रदायिक सद्भाव बना रहेगा। सभी लोग मिलजुलकर और भाईचारे से रहेंगे, तभी हम विकास कर सकते हैं। नहीं तो यूं ही धर्म के नाम पर लड़ते रहेंगे तो देश पीछे चला जाएगा।
अमन : हम अपने सभी दोस्तों को इसी तरह का भाईचारे का संदेश देने का एक अभियान चलाते हैं, ताकि समाज में लोग भाईचारे एवं सद्भाव से रहें।
रमन : बहुत अच्छा आईडिया है। आज ही से इसकी शुरुआत करते हैं।
अमन : हां ठीक है।