Social Sciences, asked by amitkumarmatlong1, 6 months ago

संप्रदायिकता किसे कहते हैं​

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Answered by Shivamshm777
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Answer:

यदि हम भारतीय परिप्रेक्ष्य में सांप्रदायिकता पर दृष्टिपात करें तो यह आधुनिक राजनीति के उद्भव का ही परिणाम है। हालाँकि इससे पूर्व भी भारतीय इतिहास में हमें ऐसे कुछ उदाहरण मिलते हैं जो सांप्रदायिकता की भावना को बढ़ावा देते हैं लेकिन वे सब घटनाएँ अपवाद स्वरूप ही रही हैं। उनका प्रभाव समाज एवं राजनीति पर व्यापक स्तर पर नहीं दिखता। वर्तमान संदर्भ में सांप्रदायिकता का मुद्दा न केवल भारत में अपितु विश्व स्तर पर भी चिंता का विषय बना हुआ है।

सांप्रदायिकता की अवधारणा:

  • सांप्रदायिकता एक विचारधारा है जिसके अनुसार कोई समाज भिन्न-भिन्न हितों से युक्त विभिन्न धार्मिक समुदायों में विभाजित होता है।
  • सांप्रदायिकता से तात्पर्य उस संकीर्ण मनोवृत्ति से है, जो धर्म और संप्रदाय के नाम पर पूरे समाज तथा राष्ट्र के व्यापक हितों के विरुद्ध व्यक्ति को केवल अपने व्यक्तिगत धर्म के हितों को प्रोत्साहित करने तथा उन्हें संरक्षण देने की भावना को महत्त्व देती है।
  • एक समुदाय या धर्म के लोगों द्वारा दूसरे समुदाय या धर्म के विरुद्ध किये गए शत्रुभाव को सांप्रदायकिता के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है।
  • यह एक ऐसी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें सांप्रदायिकता को आधार बनाकर राजनीतिक हितों की पूर्ति की जाती है और जिसमें सांप्रदायिक विचारधारा के विशेष परिणाम के रूप में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएँ होती हैं।
  • सांप्रदायिकता में नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों ही पक्ष विद्यमान होते हैं।
  • सांप्रदायिकता का सकारात्मक पक्ष, किसी व्यक्ति द्वारा अपने समुदाय के उत्थान के लिये किये गए सामाजिक और आर्थिक प्रयासों को शामिल करता है।
  • वहीं दूसरी तरफ इसके नकारात्मक पक्ष को एक विचारधारा के रूप में देखा जाता है जो अन्य समूहों से अलग एक धार्मिक पहचान पर ज़ोर देता है, जिसमें दूसरे समूहों के हितों को नज़रअंदाज़ कर पहले अपने स्वयं के हितों की पूर्ति करने की प्रवृत्ति देखी जाती है।

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