सुपोषण क्या हैं ? इससे जलस्त्रोतों पर क्या प्रभाव पड़ता हैं ?
Answers
सुपोषण —
सुपोषण से तात्पर्य है, पोषण करना है। पर्यावरण या जलीय स्रोतों के संबंध में सुपोषण से तात्पर्य किसी जलाशय यानी जल स्रोत को पोषक तत्वों से समृद्ध करना ही सुपोषण कहलाता हैय़ सुपोषण की इस प्रक्रिया में जल स्रोतों में पौधों तथा शैवालों का विकास किया जाता है। सुपोषण दो प्रकार का होता है...
प्राकृतिक सुपोषण और सांस्कृतिक सुपोषण
सुपोषण से जलीय स्रोतो पर पड़ने वाला प्रभाव —
जल स्रोतों जैसे की नदी, झील, तालाब, समुद्र आदि के जीवों व वलस्तपतियों के लिये प्रकाश जरूरी है, लेकिन शैवालों के कारण जल आच्छादित हो जाने के कारण जलीय जीवो और वनस्पतियों के प्रकाश संश्लेषण में रुकावट पैदा हो सकती है। अगर प्रकाश संश्लेषण सही तरीके से नहीं होगा तो पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाएगी और जलीय वनस्पतियों को नुकसान पहुंचेगा। ऐसी स्थिति में जलीय वनस्पतियां मृत होती जायेंगी। इससे पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित होगा। सुपोषण के कारण पानी का स्वाद भी बदल सकता है और वह गंध रहित हो सकता है। उसकी प्राकृतिकता नष्ट हो सकती है।
Explanation:
सुपोषण —
सुपोषण से तात्पर्य है, पोषण करना है। पर्यावरण या जलीय स्रोतों के संबंध में सुपोषण से तात्पर्य किसी जलाशय यानी जल स्रोत को पोषक तत्वों से समृद्ध करना ही सुपोषण कहलाता हैय़ सुपोषण की इस प्रक्रिया में जल स्रोतों में पौधों तथा शैवालों का विकास किया जाता है। सुपोषण दो प्रकार का होता है...
प्राकृतिक सुपोषण और सांस्कृतिक सुपोषण
सुपोषण से जलीय स्रोतो पर पड़ने वाला प्रभाव —
जल स्रोतों जैसे की नदी, झील, तालाब, समुद्र आदि के जीवों व वलस्तपतियों के लिये प्रकाश जरूरी है, लेकिन शैवालों के कारण जल आच्छादित हो जाने के कारण जलीय जीवो और वनस्पतियों के प्रकाश संश्लेषण में रुकावट पैदा हो सकती है। अगर प्रकाश संश्लेषण सही तरीके से नहीं होगा तो पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाएगी और जलीय वनस्पतियों को नुकसान पहुंचेगा। ऐसी स्थिति में जलीय वनस्पतियां मृत होती जायेंगी। इससे पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित होगा। सुपोषण के कारण पानी का स्वाद भी बदल सकता है और वह गंध रहित हो सकता है। उसकी प्राकृतिकता नष्ट हो सकती है।