Psychology, asked by PragyaTbia, 1 year ago

स्पष्ट कीजिए कि कैसे ‘ कर्ता ‘ द्वारा किया गया गुणारोपण ‘ प्रेक्षक ‘ के द्वारा किए गए गुणारोपण से भिन्न होगा I

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Answered by TbiaSupreme
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"किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं के सकारात्मक एवं नकारात्मक अनुभव के लिए किया जाने वाला गुणा रोपण ‘कर्ता’ द्वारा किया जाने वाला गुणारोपण कहलाता है एवं दूसरों के सकारात्मक एवं नकारात्मक अनुभव के लिए किए जाने वाला गुणारोपण ‘प्रेक्षक’ द्वारा किया जाने वाला गुणा रोपण कहलाता है। इन दोनों प्रभाव में अंतर होता है जिसे कर्ता-प्रेक्षक प्रभाव (Actor-Observer Effect) कहा जाता है । इन दोनों में अंतर को हम निम्न उदाहरण से समझ सकते हैं।

यदि आप एक परीक्षा देते हैं और उसमें सफलता पाते हैं तो इसका आप गुणारोपण स्वयं की मेहनत और योग्यता को देंगे। ये कर्ता की भूमिका में सकारात्मक अनुभव के लिए आंतरिक गुणारोपण हुआ। यदि आप परीक्षा में असफल हो जाते हैं तो आप इसका इसका दोष कठिन परीक्षा और अपनी खराब किस्मत को देंगे । यह कर्ता की भूमिका में एक नकारात्मक अनुभव के लिए बाहरी गुणारोपण हुआ। दूसरी ओर यदि आपका कोई साथी अपनी परीक्षा में सफल होता है तो आप उसका गुणारोपण उसकी अच्छी किस्मत और सरल परीक्षा के लिए देंगे। यह प्रेक्षक के रूप में सकारात्मक अनुभव के लिए बाहरी  गुणारोपण हुआ। यदि आपका साथी परीक्षा में असफल हो जाता है तो आप यह कहेंगे कि वो इस के योग्य नही था या उसने ज्यादा मेहनत नही की। यह प्रेक्षक के रूप में नकारात्मक अनुभव के लिए आंतरिक गुणारोपण हुआ।

कर्ता एवं प्रेक्षक भूमिका मैं होने वाले गुणारोपण में अंतर का मुख्य कारण यह है कि लोग स्वयं को दूसरों से हमेशा श्रेष्ठ ही समझते हैं और दूसरों की तुलना में अपनी छवि अच्छी रखनी चाहते हैं।

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