सिर्फ तर्क करने वाल दिमाग एक ऐसे चाकू की तरह है जिसमे सिर्फ धार का वह प्रयोग कर्ने वाले का हाथ रक्तमय कर देता है इसकी व्याख्या कीजिए सर अभी चाहिए
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तर्क से हमारी बुद्धि का विनाश होता है। हमारे शरीर पर तर्क का गहरा प्रभाव पड़ता है। हमसे लोग हमारे व्यवहार के कारण दूर हो जाते हैं।
तर्क से हमें सदैव बचना चाहिए क्योंकि तर्क से किसी समस्या का समाधान नहीं होता बल्कि यह समस्या को और उलझा देता है।
इसलिए तर्क नहीं बुद्धि से काम लिजिए।
तर्क से हमें सदैव बचना चाहिए क्योंकि तर्क से किसी समस्या का समाधान नहीं होता बल्कि यह समस्या को और उलझा देता है।
इसलिए तर्क नहीं बुद्धि से काम लिजिए।
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सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाकू की तरह है जिसमें सिर्फ बुलेट है और इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से खून निकाल देता है >>
यह कथन बहुत सारे तथ्यो पर सत्य भी है । क़्योंकि आज कल के समाज में सिर्फ तर्क करना सभी समस्याओं का हल नहीं है , इसलिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम किस के सामने क्या बात कर रहे हैं , क्योंकि हमारी एक विवाह बात और एक ब्लड शामिल होती है ।
जैसे कि सामने वाले व्यक्ति को बुरा लग सकता है ।
और वह हमारी पिटाई कर सकता है , इसीलिए कहा गया है कि सिर्फ करके आने की बकबक करने वाला दिमाग एक चाकू की तरह होता है और उसका प्रयोग करता है उसी का हाथ काटता है ।
यह कथन बहुत सारे तथ्यो पर सत्य भी है । क़्योंकि आज कल के समाज में सिर्फ तर्क करना सभी समस्याओं का हल नहीं है , इसलिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम किस के सामने क्या बात कर रहे हैं , क्योंकि हमारी एक विवाह बात और एक ब्लड शामिल होती है ।
जैसे कि सामने वाले व्यक्ति को बुरा लग सकता है ।
और वह हमारी पिटाई कर सकता है , इसीलिए कहा गया है कि सिर्फ करके आने की बकबक करने वाला दिमाग एक चाकू की तरह होता है और उसका प्रयोग करता है उसी का हाथ काटता है ।
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