सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाकू की तरह होता है जिसमे सिर्फ ब्लेड ही होता है और यह प्रयोग करने वाले के हाथ रक्तमय कर देता है शीर्षक पर निबंध 300 शब्दो में
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Logic and anger are the greatest enemy of mankind. Nobody leaves the argument somewhere. Like the mite, the logic which gradually spoils the good person.
That's why we stop children from reasoning. Children do not look good at all while reasoning. Therefore they are explained in the school that do not argue. Being gentle is advised.
The person who argues does not get much from doing anything. Yes, yes people do not get synonymous.
That is why Tagore Sahib has said that the argument is like a sharp knife, the person using it has its own harm. He makes his hands
IN HINDI ANSHWER
तर्क और क्रोध इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। इंसान को तर्क कहीं का नहीं छोड़ता है। घुन की तरह होता है तर्क जो धीरे-धीरे अच्छे व्यक्ति को खराब कर देता है।
इसलिए हम बच्चों को तर्क करने से रोकते हैं। बच्चों तर्क करते हुए बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते। इसलिए उन्हें स्कूल में समझाया जाता है कि तर्क नहीं करो। भद्र बनने की सलाह दी जाती है।
तर्क करने वाला व्यक्ति बहुत कुछ पाकर भी कुछ नहीं पाता है। जी, हां लोगों का पर्याय नहीं पाता है।
इसलिए टैगोर साहब ने बोला है कि तर्क धारदार चाकू की तरह होता है जिसका प्रयोग करने वाला व्यक्ति अपना ही हानि करता है। अपने हाथ को रक्तशील करता है।
That's why we stop children from reasoning. Children do not look good at all while reasoning. Therefore they are explained in the school that do not argue. Being gentle is advised.
The person who argues does not get much from doing anything. Yes, yes people do not get synonymous.
That is why Tagore Sahib has said that the argument is like a sharp knife, the person using it has its own harm. He makes his hands
IN HINDI ANSHWER
तर्क और क्रोध इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। इंसान को तर्क कहीं का नहीं छोड़ता है। घुन की तरह होता है तर्क जो धीरे-धीरे अच्छे व्यक्ति को खराब कर देता है।
इसलिए हम बच्चों को तर्क करने से रोकते हैं। बच्चों तर्क करते हुए बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते। इसलिए उन्हें स्कूल में समझाया जाता है कि तर्क नहीं करो। भद्र बनने की सलाह दी जाती है।
तर्क करने वाला व्यक्ति बहुत कुछ पाकर भी कुछ नहीं पाता है। जी, हां लोगों का पर्याय नहीं पाता है।
इसलिए टैगोर साहब ने बोला है कि तर्क धारदार चाकू की तरह होता है जिसका प्रयोग करने वाला व्यक्ति अपना ही हानि करता है। अपने हाथ को रक्तशील करता है।
singhsaumya999pd753p:
Plz sir hindi me likhe
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