सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है जिसमे सिर्फ ब्लेड है. यह इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से खून निकाल देता पर निबंध
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तर्क रुपी चाक़ू
बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं अगर किसी और के घर में टीवी ही क्यूँ न चल रहा हो समाचार देखते ही वे कांग्रेस पार्टी या जनता पार्टी पर बहस करने लगेगे I दोनों ही आपके मित्र हैं दोनों पार्टियों के बारे में बहस करने लगेंगे और बहस का सिलसिला इतना जोर पकड़ता चला जायेगा कि घर के लोग के हाथ में चाय की ट्रे खनखना के गिर जाएगा Iतर्क करने वालों के लिए कोई निश्चित स्थान नहीं होता I टीवी को आपने बंद कर दिया ,लेकिन तर्क और कुतर्क चलता रहा आपको ही महसूस होगा कि हम अपना घर छोड़कर चले जाए I तर्क एक दो वाक्यों का हो तो उसे तर्क नहीं कहा जाता ,उसे विचार कहते हैं I लेकिन जो क्रोध और झगडे का रूप ले ले वो कुतर्क कहलाता है I अगर आप कहेंगे त्रेता में राम हुए थे द्वापर में कृष्ण तो कुतर्की ये सिध्ह करके रहेगा द्वापर में राम रहे थे और त्रेता में कृष्ण I इसलिए ये कहना सर्वथा सत्य है "सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है जिसमे सिर्फ ब्लेड है I यह इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से खून निकाल देता है I"