सूर का वात्सल्य वर्णन अभूतपूर्व है सदोहारण सहित लिखिये
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सूरदास जी वात्सल्यरस के सम्राट माने गए हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसो का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। बालकृष्ण की लीलाओं को उन्होंने अन्तःचक्षुओं से इतने सुन्दर , मोहक , यथार्थ एवं व्यापक रुप में देखा था , जितना कोई आँख वाला भी नहीं देख सकता। वात्सल्य का वर्णन करते हुए वे इतने अधिक भाव - विभोर हो उठते हैं कि संसार का कोई आकर्षण फिर उनके लिए शेष नहीं रह जाता।
सूर सूर तुलसी शशि , उड़गन केशव दास।
अबके कवि खद्योत सम , जहँ तहँ करत प्रकाश।।
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