"सिर से पैर तक मस्त मौला, स्वभाव से फक्कड़ , आदत से अक्कड़,भक्तों के सामन, भेज धारी के सामने प्रचंड ,दिल के साफ, दिमाग से दुरुस्त ,जन्म से आसपास कर्म से वंदनीय है- ऐसे थे कबीर " -हजारी प्रसाद द्विवेदी
इस पर व्याख्या करे___
HINDI COURSE B | CLASS 10th
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नफरत करना नहीं किसी से, प्यार सभी से करना जी, तूफाँ तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी । हिम्मत करनेवालों को, मिलती मदद सब लोगों की, सत्कर्मों की तूलिका से, जीवन में रंग भरना जी । हार-जीत का खेल है जीवन, खेल समझकर खेलो, जो भी मिलता, हाथ बढ़ाकर, खुशी-खुशी तुम ले लो । जब तक जियो, हँसकर जियो इक दिन सबको जाना जी, तूफाँ तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी । धूप-छाँव जीवन का हिस्सा, कभी उजाला, कभी अँधेरा, रात हो चाहे जितनी लंबी, उसका भी है अंत सवेरा.
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