Hindi, asked by adityahp2200, 10 months ago

सार सार को गहि रहै थोथा देई उड़ाय । अनुच्छेद कक्षा 10

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Answered by bhatiamona
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यह कबीर दास जी का एक प्रसिद्ध है। यह दोहा अधूरा है। पूरा दोहा इस प्रकार होगा।

साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय।  

सार-सार को गहि रहे थोथा देई उड़ाय।।  

भावार्थ — कबीर दास जी कहते हैं कि सज्जन लोगों का आचरण सूप के समान होता है। जिस तरह सूप अनाज में से बेकार कणों को उड़ा देता है तथा उपयोगी अनाज को अपने पास रखता है, उसी तरह सज्जन लोग भी व्यर्थ की बातों पर ध्यान नही देते और व्यर्थ की बातों को हवा में उड़ा देते हैं तथा जो बातें उनके लिए उपयोगी होती हैं, उसी बात को ग्रहण करते हैं। सज्जन का यही स्वभाव होता है कि वह वह किसी भी बात में से से उपयोगी ज्ञान को अपने पास रखते हैं, और बेकार की बातों को छोड़ देते हैं।

Answered by Dipisha
12

Answer:

Hii mate

Hope it helps you

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