सौर शक्ति के साथ विनम्रता का संगम किस प्रकार सहायक होता है
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साहस और शक्ति ये दो गुण एक व्यक्ति को ( वीर ) श्रेष्ठ बनाते हैं। यदि किसी व्यक्ति में साहस विद्यमान है, तो शक्ति स्वयं ही उसके आचरण में आ जाएगी। परन्तु जहाँ तक एक व्यक्ति को वीर बनाने में सहायक गुण होते हैं, वहीं दूसरी ओर इनकी अधिकता एक व्यक्ति को अभिमानी व उद्दंड बना देती है। कारणवश या अकारण ही वे इनका प्रयोग करने लगते हैं। परन्तु यदि विनम्रता इन गुणों के साथ आकर मिल जाती है, तो वह उस व्यक्ति को श्रेष्ठतम वीर की श्रेणी में ला देती है। साहस और शक्ति से स्वभाव में अहंकार का समावेश होता है। विनम्रता उसमें सदाचार व मधुरता भर देती है। ऐसा व्यक्ति किसी भी स्थिति को सरलतापूर्वक तथा शांतिपूर्वक हल कर सकता है। जहाँ परशुराम जी साहस व शक्ति का संगम है। वहीं राम में विनम्रता, साहस व शक्ति का संगम है। उनकी विनम्रता के आगे परशुराम जी के अहंकार को भी नतमस्तक होना पड़ता है, नहीं तो लक्ष्मण जी के द्वारा परशुराम जी को शांत करना सम्भव नहीं था।