सारी धरती के भीग जाने से क्या प्रभाव पड़ रहा है?
(Maanbhavak savan) kavita
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अब के सावन ऐसा आए
झूम -झूम कर धरती गाए
रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन
तन मन दोनों ख़ुशी से भीग जाए
सावन के झूले जब पड़ते
खिल -खिल हँसती सखियाँ सारी
हिल -मिल कर रंग जमाती
रंग-बिरंगे परिधानों में सब के
मन को भा जाती
यह खिलती कलियाँ अब कभी
न मुरझाएँ , ख़ुशी के गीत गाएँ
घर-घर में रंग जमें अब ऐसा
बेटियाँ हरदम ही मुस्कुराएँ
न हो डर कोई ऐसा जिससे वे सहम
जाएँ
हम सब भरें उनके मन में विश्वास
ताकि बेख़ौफ़ वे आगे बढ़ती जाएँ
सावन की इस बारिश में खुद को
आनंदित पाएँ
अब के सावन ऐसा आए
झूम -झूम कर धरती गाए
हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
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