सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार का क्या अर्थ है ?
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भारतीय संविधान द्वारा राज्य विधान सभा और लोकसभा के चुनाव में सार्वभौम व्यस्क मताधिकार को अपनाया गया है। हर व्यक्ति जिसकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है उसे धर्म, जाति, लिंग, साक्षरता या संपत्ति आदि के आधार पर कोई भेदभाव किए बिना मतदान करने का अधिकार है।
वर्ष 1988 तक यह उम्र 21 वर्ष था लेकिन 1989 में इसे घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया। देश के विशाल आकार, जनसंख्या, गरीबी, सामाजिक असमानता, अशिक्षा आदि को देखते हुए संविधान निर्माताओं द्वारा सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार को संविधान में शामिल करना बहुत ही सराहनीय कदम था।
व्यस्क मताधिकार लोकतंत्र का आधार देने के साथ आम जनता के स्वाभिमान में वृद्धि करता है व समानता के सिद्धांत को लागू करता है जिसमें हर व्यक्ति पंक्तिबद्ध होकर मतदान करता है और हर व्यक्ति के मत का मूल्य समान होता है।
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सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार means UNIVERSAL ADULT SUFFRAGE : WHICH MEANS THAT ANY PERSON ABOVE THE AGE OF 18 HAS THE GUARANTEED RIGHT TO VOTE.