सार्वजनिक क्षेत्र की 1991 की औधोगिक नीति का वर्णन कीजिए।
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Answer:
Explanation:
सार्वजनिक क्षेत्र की 1991 की औधोगिक नीति का वर्णन कीजिए।
- पुनर्गठन और संभावित रूप से व्यवहार्य सार्वजनिक उपक्रमों को पुनर्जीवित करना।
- सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करना, जिन्हें पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता है।
- यदि आवश्यक हो तो सभी गैर महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रमों में सरकार के समता अंश को 26 प्रतिशत या उससे कम पर लाना।
- श्रमिकों के हित की पूरी तरह से रक्षा करना।
- सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित उद्योगों की संख्या में कमी 17 से 8 (और फिर 3) कर देना :
1991 में, केवल 8 उद्योग सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित थे, वे परमाणु ऊर्जा, हथियार और संचार, खनन और रेलवे तक ही सीमित थे। 2001 में, केवल तीन उद्योगों को विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित किया गया था। ये ऊर्जा, हथियार और रेल परिवहन है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के शेयरों का विनिवेश : विनिवेश में निजी क्षेत्र और जनता के लिए समता अंश की बिक्री शामिल है। इसका उद्देश्य संसाधन जुटाना और इन उद्यमों के स्वामित्व में आम जनता और श्रमिकों की व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करना था।
- सभी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड के पास भेजा गया था ताकि यह तय किया जा सके कि एक बीमार इकाई का पुनर्गठन किया जाए या बंद कर दिया जाए।
- समझौता विवरणिका प्रणाली :
इस प्रणाली के माध्यम से प्रदर्शन में सुधार करना जिसके द्वारा प्रबंधन को अधिक स्वायत्तता प्रदान की जा सके लेकिन निर्दिष्ट परिणामों के लिए जिम्मेदार भी ठहराया जाए।
इस प्रणाली के तहत, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्पष्ट लक्ष्य और परिचालन स्वायत्तता दी गई थी।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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आर्थिक नीति के अनेक पक्ष होते है जो देश में औद्योगिक निवेश और उत्पादन को प्रभावित करते है। सर्वप्रथम औद्योगिक लाइसेसिंग नीति हैं जो औद्योगिक उपक्रमों की स्थापना और उनके विकास को विनियमित करती है। द्वितीय आर्थिक शक्तियों एवं एकाधिकार के संकेन्द्रण पर नियंत्रण की नीति। तृतीय प्रौद्योगिकी, 80 पूँजीगत पदार्थों, उपकरणों एवं कच्चे माल के आयात-निर्यात सम्बन्धित नीति। अन्त में वित्तीय एवं राजकोषीय नीतियां जिनका सम्बन्ध औद्योगिक वित्त के प्रावधान, पूँजी बाजार, निवेश तथा उत्पादन प्रोत्साहन से होता है। इस इकाई का मुख्य उद्देश्य आपको उस नीतिगत ढ़ाँचे से अवगत कराना है जिसके अन्तर्गत भारतीय अर्थव्यवस्था का औद्योगिक ढ़ाँचा स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद पिछले पचास वर्षों में विकसित हुआ।
इस में आप 1948 की प्रथम औद्योगिक नीति से लेकर अब तक की (1991 की) औद्योगिक नीतियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगें।
औद्योगिक नीति का अर्थ
औद्योगिक नीति से अर्थ सरकार के उस चिन्तन (Philosophy) से है जिसके अन्तर्गत़ औद्योगिक विकास का स्वरूप निश्चित किया जाता है तथा जिसको प्राप्त करने के लिए नियम व सिद्धान्तों को लागू किया जाता है। औद्योगिक नीति एक व्यापक धारणा है, जिसमें दो तत्वों का मिश्रण होता है। प्रथम, औद्योगिक विकास एवं संरचना के सम्बन्ध में सरकार का दृष्टिकोण अथवा दर्शन (Philosophy) क्या रहेगा ? दूसरे, इस दृष्टिकोण की प्राप्ति के लिये, औद्योगिक इकाइयों को नियन्त्रित एवं नियमित करने की दृष्टि से किन सिद्धान्तों, प्रक्रियाओं, नियमों और नियमनों को अपनाया जायेगा ?
औद्योगिक नीति मे उन सभी सिद्धान्तों, नियमों व रीतियों का विवरण होता है जिन्हें उद्योगों के विकास के लिये अपनाया जाना है। यह नीति विशेष रूप से भावी उद्योगों के विकास, प्रबन्ध व स्थापना से सम्बन्धित होती हैं। इस नीति को बनाते समय देश का आर्थिक ढ़ँाचा, सामाजिक व्यवस्था, उपलब्ध प्राकृतिक व तकनीकी साधन व सरकारी चिन्तन का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है।