Business Studies, asked by mamtasahu67403, 3 months ago

सार्वजनिक क्षेत्र में निजी क्षेत्र को समझाते हुए 10 अंतर बताइए

Answers

Answered by satyamc1568
4

Answer:

Here is your answer mate- पब्लिक सेक्टर बैंक में शेयर का अधिकतर हिस्सा सरकार के पास रहता है, जबकि प्राइवेट सेक्टर बैंक में ज्यादातर हिस्सा बड़े शेयर धारकों के पास होता है। उदाहरण के तौर पर, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पब्लिक सेक्टर का प्रमुख बैंक है, जबकि आईसीआईसीआई बैंक प्राइवेट सेक्टर का लोकप्रिय बैंक है। आम तौर पर दोनों ही तरह के बैंकों में एक समान सर्विस दी जाती हैं, लेकिन दोनों के काम करने के तौर-तरीकों, उनकी गुणवत्ता और समयावधि में बड़ा अंतर रहता है। यही वजह है कि इनके ब्याज दरों में भी थोड़ा बहुत अंतर दिख जाता है जो कि इनके लाभ में बने रहने के लिए जरूरी भी है।

बता दें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के 58.87 प्रतिशत हिस्से पर सरकार का नियंत्रण रहता है। अमूमन पब्लिक सेक्टर के बैंकों में सरकार की 50 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी रहती है, जिससे राष्ट्रीयकृत बैंकों पर सरकार का पूरा नियंत्रण रहता है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक ऐसे ही दो बड़े बैंक हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि ये बैंक भारत के केंद्रीय बैंक के रूप में कार्यरत "भारतीय रिजर्व बैंक" के मातहत होते हैं जिसका मुख्यालय मुम्बई में है। प्रायः सभी बैंक इसी बैंक के अधिकार में आते हैं, क्योंकि रुपये भी यही बैंक छापती है।

आपको पता होना चाहिए कि भारत में बैंक ऑफ इंडिया, देना बैंक, आईडीबीआई बैंक, भारतीय महिला बैंक, इंडियन बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब नेशनल बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, इलाहाबाद बैंक, आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, कॉर्पोरेशन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, विजया बैंक और पंजाब एण्ड सिंध बैंक आदि पब्लिक सेक्टर के लोकप्रिय सरकारी बैंक है।

इसके विपरीत, निजी क्षेत्र के बैंकों की कमान उसके शेयर धारकों के हाथ में रहती है। अमूमन ऐसे बैंक किसी न किसी निजी समूह के द्वारा ही संचालित किए जाते हैं। 1990 के दशक से देश में लागू उदारीकरण की नीति के बाद निजी क्षेत्र के बैंकों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है, क्योंकि निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया अब बेहद आसान कर दी गई है। आपको पता होना चाहिए कि इन निजी बैंकों में सरकार का कोई शेयर नहीं होता है, बल्कि इनके पूरे शेयर प्राइवेट कंपनी के पास होते हैं, जैसे एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक।  

हम जानते हैं कि बंधन बैंक, कैथोलिक सीरियन बैंक, सिटी यूनियन बैंक, धनलक्ष्मी बैंक, यस बैंक, डीसीबी बैंक, इक्विटस स्मॉल फाइनेंस बैंक, फ़ेडरल बैंक, तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक लि, कर्नाटका बैंक, इंडसलैंड बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, करूर वैश्य बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक, नैनीताल बैंक, आरबीएल बैंक, साउथ इंडियन बैंक, एक्सिस बैंक, यूपी एग्रो कॉर्पोरेशन बैंक और आईडीएफसी बैंक आदि निजी क्षेत्र के लोकप्रिय बैंक हैं।

प्रायः निजी क्षेत्र के बैंक काम जल्दी निपटाने में और अच्छी सर्विस देने के मामले में सबसे आगे रहते हैं और इन्हीं तीव्र बैंकिंग सुविधा के चलते ज्यादा शुल्क भी वसूल लेते हैं। जबकि पब्लिक सेक्टर के बैंकों में ग्राहकों का ख्याल तो रखा जाता है, लेकिन कम सुविधा शुल्क पर ही उन्हें बेहतर सर्विस देने की पूरी कोशिश की जाती है।  

अमूमन पब्लिक सेक्टर के बैंकों में अधिकतर खाता सरकारी कर्मचारियों का ही होता है, क्योंकि इसी के जरिए उनकी मासिक सैलरी उन्हें मिलती है। इसमें फिक्स डिपॉजिट, लॉकर की सुविधा आदि भी शामिल हैं। जबकि प्राइवेट सेक्टर के बैंकों का टार्गेट निजी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारी होते हैं, जिनको उनकी सैलरी के लिए ये बैंक एकाउंट के साथ क्रेडिट कार्ड और नेट बैंकिंग की भी सुविधा देते हैं।

इस बात में कोई दो राय नहीं कि सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र दोनों प्रकार के बैंक ऐसे बड़े स्तम्भ हैं जिस पर भारत के आर्थिक विकास की नींव रखी गई है। इसलिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के प्रशिक्षण और विकास अर्थात् ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट में बहुत समय और पैसा निवेश करते हैं। जबकि, निजी क्षेत्र के बैंक भी कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हैं और ऑन-जॉब ट्रेनिंग ज्यादा प्रदान करते हैं। उनके वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा नए कर्मचारियों को नौकरी की जिम्मेदारियों के विभिन्न पहलुओं में प्रशिक्षित किया जाता है।  

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में भर्ती के अधिक अवसर प्रदान करते हैं, क्योंकि वे सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं। जबकि निजी बैंक में सभी प्रकार की भर्ती में आरक्षित श्रेणी उम्मीदवारों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार कोटा प्रणाली का पालन नहीं करते, बल्कि योग्यता को तरजीह देते हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में नौकरी की सुरक्षा आपके पैकेज के हिस्से के रूप में आता है, जहां एक कर्मचारी को नौकरी की जिम्मेदारियों को समझने और समायोजित करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है। जबकि निजी क्षेत्र के बैंक प्रतियोगी व्यापार इकाइयां हैं जो लाभ के लिए काम करती हैं। इसलिए, प्रोफेशनल एटीट्यूड में लापरवाही से आप यहां अपनी नौकरी गंवा भी सकते हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सरकारी संस्थाएं हैं। लिहाजा, उन्हें बाज़ार में बहुत प्रतिस्पर्धी होने की ज़रूरत नहीं है जिससे उनका वर्क-कल्चर रिलैक्स्ड होता है। जबकि निजी क्षेत्र के बैंक लाभ मार्जिन पर काम करते हैं और उनके कर्मचारियों को सीमित संसाधनों के साथ हाई टारगेट पूरा करना होता है। अतः प्रत्येक कर्मचारी को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है। जो निजी क्षेत्र के बैंक में वर्क-कल्चर को बहुत आक्रामक बना देता है।

Mark it as brainiest!!!

Similar questions