सार्वजनिक उपक्रम तथा निर्जीव कर्म में क्या अंतर है?
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सार्वजनिक उपक्रम का तात्पर्य एक ऐसे औद्यौगिक तथा वाणिज्यिक उपक्रम से है जिसका प्रबन्ध या स्वामित्व अथवा दोनों ही सरकार के हाथ में हो तथा समस्त क्रियाओं की देख रेख सरकार के द्वारा की जाती हो।
जिन वाक्यों में केवल एक कर्म पाया जाता है उन्हें एककर्मक क्रिया कहते है। ... द्विकर्मक क्रिया :- जिन वाक्यों में दो कर्म पाया जाता है उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते है। सजीव कर्म को गौण तथा निर्जीव कर्म को प्रधान कहते है।
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