सूर्य को अगर खोखला कर दिया जाए तो उसमें कितनी पृथ्वी समा जाएंगे
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इस आंसर के साथ एक बात और पता चलती है और वह यह कि सूर्य की ग्रेविटी फोर्स पृथ्वी की ग्रेविटी 4 से 27 गुना अधिक है। सूर्य का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 27 गुना अधिक है। देखी कितनी आसानी से हम पृथ्वी और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के साथ ब्रह्मांड में गुरुत्वाकर्षण के जादू को समझ गए। मेरे कई दोस्तों इसके बारे में पता नहीं है। जब मैं बताऊंगा तो वह मुझे इंटेलिजेंट समझेंगे। So okey n thanks सवाल का जवाब मिल गया कल फिर मिलेंगे एक नए सवाल के साथ। सूर्य के बारे में कुछ और जानना है तो फिर पढ़ते रहिए:
सूर्य की उम्र कितनी है, क्या सूर्य कभी नष्ट हो जाएगा
यह तो आप जानते ही हैं कि सूर्य ग्रह हमारे सोलर सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आकाशगंगा में कुल 200,000,000,000 तारे हैं। यह जो तारे हैं असल में सूर्य हैं। हमारा सूर्य तारा है। बहुत दूर कहीं किसी दूसरे सूर्य की पृथ्वी पर जहां जीवन होगा वहां के लोगों को हमारा सूर्य भी 1 तारे की तरह टिमटिमाते दिखाई देता होगा। वैज्ञानिक कौन है अब तक हमको केवल इतना बताया है कि हमारा सूर्य गैस का एक गोला है। इसमें ना तो कोई जमीन है ना आसमान। और ना ही मंगल ग्रह की तरह पहाड़। वैज्ञानिकों ने यह भी बताया है कि हमारे सूर्य में 26% हीलियम गैस, 2% कार्बन एवं ऑक्सीजन गैस तथा 72% हाइड्रोजन गैस मौजूद हैं लेकिन उन्होंने सूर्य की आयु के बारे में कुछ नहीं बताया है। उनका कहना है कि करोड़ों साल से सूर्य ऐसा ही है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। (करोड़ों साल से एक ही जगह पर है, ना बढ़ा हुआ ना बूढ़ा। बोर नहीं हो जाता क्या)
सूर्य के भीतर और बाहरी सतह पर कितना तापमान होता है
वैज्ञानिक प्रयोगों के बाद अब तक जो अनुमान लगाया गया है उसके अनुसार सूर्य के केंद्र का तापमान अनुमानित 150 लाख डिग्री सेंटीग्रेड है। इसके केंद्र में न्यूक्लियर फ्यूजन की क्रिया होती रहती है, जिसके कारण ऊष्मा उत्पन्न होती है (यानी सूर्य के अंदर लगातार परमाणु विस्फोट होते रहते हैं, इसीलिए इतना गर्म होता है)। सूर्य के सतह पर गरूत्वाकर्षण बल के कारण दबाव बना रहता है, जिसके कारण इसकी सतह का तापमान लगभग 6,000 डिग्री सेंटीग्रेड तक बना रहता है। अरे बाबा, अपना तो पढ़ कर ही पसीना आ गया।
सूर्य की रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने में कितना समय लगता है
सूरज की रोशनी को पृथ्वी के धरातल पर पहुँचने में 8 मिनट 30 सेकेण्ड का समय लगता है। सूर्य की उर्जा को पृथ्वी तक पहुँचने में 640 किलोमीटर मोटी वायुमंडल की पर्त को पार करना पड़ता है। जिसके कारण पृथ्वी तक आने वाली उर्जा का आधे से अधिक भाग रास्ते में हीं नष्ट हो जाता है। केवल कुल उर्जा का 46% तक हीं पृथ्वी तक पहुँच पाता है। यह तो घोटाला है भाई, हमारे हिस्से की हाथी ऊर्जा वायुमंडल खा जाता है।