सूर्य कभी उत्तरी गोलार्ध तो कभी दक्षिणी गोलार्द्ध पर उगता क्यों , दिखाई देता है ?
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Explanation:
उत्तरी गोलार्ध पृथ्वी का वह भाग है जो भूमध्य रेखा के उत्तर में है। अन्य सौर मण्डल के ग्रहों की उत्तर दिशा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के स्थिर समतल में लिया जाता है[1]। पृथ्वी के अक्षीय झुकाव की वजह से उत्तरी गोलार्ध में शीत ऋतु, दक्षिणायन (२२ दिसंबर के आसपास) से वसंत विषुव (लगभग २३ मार्च) तक चलता है और ग्रीष्म ऋतु, उत्तरायण (२१ जून) से शरद विषुव (लगभग २३ सितंबर) तक चलता है। उत्तरी गोलार्ध का उत्तरी छोर पूरी तरह ठोस नहीं है, वहाँ समुद्र के बीच जगह-जगह विशाल हिमखन्ड मिलते हैं।
दक्षिणी गोलार्ध[1] किसी ग्रह का वह आधा भाग होता है, जो उसकी विषुवत रेखा के नीचे (दक्षिणी ओर) होता है। गोलार्ध का शाब्दिक अर्थ है आधा गोला। हमारा ग्रह अक्षवत् दो भागों में बंटा है, जिन्हे उत्तरी गोलार्ध व दक्षिणी गोलार्ध कहते हैं। उत्तरी गोलार्ध का उत्तरी छोर तथा दक्षिणी गोलार्ध का दक्षिणी छोर बहुत ठंडे स्थान होने के कारण वहाँ बर्फ का साम्राज्य रहता है। दक्षिणी गोलार्ध के दक्षिणी ध्रुव पर तो बर्फ से बना विशाल महाद्वीप ही मौजूद है। दक्षिणी गोलार्ध में पांच महाद्वीप-आस्ट्रेलिया,नौ-दसवा दक्षिण अमेरिका,एक तिहाई अफ्रीका तथा एशिया के कुछ दक्षिणी द्वीपों मौजूद है। दक्षिण गोलार्द्ध चार महासागरों- हिन्द महासागर, अन्ध महासागर, दक्षिणध्रुवीय महासागर और प्रशान्त महासागर मौजूद है। पृथ्वी के अक्षीय झुकाव की वजह से दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु, दक्षिणायन (२२ दिसंबर के आसपास) से वसंत विषुव (लगभग २१ मार्च) तक चलता है और शीत ऋतु, उत्तरायण (२१ जून) से शरद विषुव (लगभग २३ सितंबर) तक चलता है।