'सूर्य' नामक पुस्तक किनकी रचना है ?
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515 साल पहले महान खगोलविद् वराह मिहिर ने सूर्य सिद्धांत नामक ग्रंथ की रचना की थी। - इस ग्रन्थ में उन्होंने मंगल के अर्धव्यास का उल्लेख किया था जो भारत के मिशन मार्स और नासा की गणना से मिलती जुलती थी।
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515 साल पहले महान खगोलविद् वराह मिहिर ने सूर्य सिद्धांत नामक ग्रंथ की रचना की थी। - इस ग्रन्थ में उन्होंने मंगल के अर्धव्यास का उल्लेख किया था जो भारत के मिशन मार्स और नासा की गणना से मिलती जुलती थी।
आज हम भारतीय खगोल शास्त्र की सबसे प्रमुख पुस्तक सूर्य सिद्धांत के बारे में जानेंगे। यह पुस्तक आज से हजारों वर्ष पहले लिखी गयी थी। इस पुस्तक को सूर्य देव के आदेश पर लिखा गया था जिसमें ज्योतिष शास्त्र, गणित, परग्रही, ब्रह्मांड जैसे विषयों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया हैं। किंतु समय के साथ-साथ इसके कुछ अंश विलुप्त हो गए व कुछ ही बचे।
इसके बाद छठी शताब्दी में वराहमिहिर जी ने इस पुस्तक को फिर से पूर्ण रूप दिया तथा ब्रह्मांड से जुड़े कई अनसुलझे प्रश्नों का विस्तार से उत्तर दिया। वर्तमान में जो वैज्ञानिक खोजे हुई हैं उसके बारे में हिंदू धर्म में आज से सदियों पहले ही सटीक आंकलन कर लिपिबद्ध कर दिया गया था।
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