सूर्य परिवारं किंतु कथपनति संस्कृत में उत्तर
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कार्यक्रम में उन्होंने संस्कृत का महत्व बताया और संस्कृत सेवा के लिए आचार्य विशुद्धानंद मिश्र के योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने संस्कृत के उत्थान पर जोर दिया। संस्कृत साहित्य विलक्षण और मार्मिक है। अनुशासन को आयाम देने वाली भाषा है। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे दास कॉलेज के प्राचार्य डॉ. वीके शर्मा ने कहा कि संस्कृत का महत्व आज भी कम नहीं है, लेकिन आज हमारे बच्चों मेें इसके प्रति रूचि नहीं है। इस रूचि का जगाने की आवश्यकता है।
गोष्ठी में डॉ. राधेश्याम रसेंद्र, डॉ. नंद किशोर सारस्वत, ऋषि कुमार शर्मा, नन्हें लाल कश्यप, सर्वेश पाठक, शिवाकांत पांडेय, डॉ. योगेंद्र पाल मौर्य, भगवान सिंह, अशोक खुराना, डॉ वीपी मिश्र, डॉ. प्रतिभा मिश्रा, सीमा शर्मा, प्रदीप रायजादा विशाल ने भी संस्कृत के समर्थन में विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर राहुल चौबे, पंकज शर्मा, विष्णु गुप्ता, शशांक निशंक, सुमित मिश्र, डॉ. उमेश गौड़, नरेंश चंद्र शंखधार, अनेक पाल प्रधान, सूर्य पाल अग्रिहोत्री, डॉ. निशि अवस्थी, डॉ. शुभ्रा माहेश्वरी, निर्मल उपाध्याय, इंद्राणी पाठक, मीनाक्षी रायजादा, लता मिश्रा, अनीता पाठक ने आचार्य मिश्र का श्रद्धांजलि दी। अजितांशु मिश्रा ने सभी आगंतुकों को पटका पहनाकर और आचार्य का साहित्य भेंट किया। संगोष्ठी से पूर्व यज्ञ का आयोजन किया गया। संचालन अधिवक्ता साहित्यकार कामेश पाठक ने किया।