सूर्योदय
पर एक सुन्दर स्वरचित कविता का निर्माण
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रोज सुबह को सूरज आकर,
सबको सदा जगाता हैं,
श्याम होई लाली फैलाकर,
अपने घर को ज्याता हैं,
दिनभर ख़ुद को जला जलाकर
ये उजाला फैलता हैं,
उसका जीना ही जीना हैं,
जो काम सभी के आता हैं !
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