सूर्यादय से पूर्व प्रकृति की शोभा का वर्णन कविता के आधार पर कीजिए।
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सूर्योदय से पहले आकाश शंख के समान हुआ फिर आकाश राख से लीपे चौक जैसा हो गया, उसके बाद लगा जैसे काले सिल पर लाल केसर से धुलाई हुई हो, उसके बाद स्लेट पर खड़िया चाक मल दिया गया हो अत मे जैसे कोई स्वच्छ नील जल में गौर वर्ण वाली देह झिलमिला रही हो। सूर्योदय का वर्णन लगभग सभी बड़े कवियों ने किया है।
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