सूर्योदय: शब्द किस संधि का उदाहरण है दीर्घ
गुण
विसर्ग
कोई नहीं
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Answer:
गुण संधि
Explanation:
सूर्योदय में गुण संधि है।
स्पस्टीकरण:- सूर्योदय का संधि विच्छेद होगा ,
सूर्योदय = सूर्य + उदय (अ + उ )
यदि अ या आ के बाद यदि कोई इ -ई , उ - ऊ , ऋ तो दोनों को मिलाकर क्रमशः ए , ओ तथा अर् हो जाता है। इस संधि को गुण संधि संधि कहते है।
जैसे -
सुरेंद्र = सुर + इन्द्र (अ + इ = ए )
राजेंद्र = राजा + इन्द्र (आ + इ = ए )
राकेश = राका + ईश (आ + ई = ए )
परोपकार = पर + उपकार (अ + उ = ओ )
महोत्सव = महा + उत्सव (आ + उ = ओ )
संधि के ५ भेद होते है।
१) दीर्घ संधि
२) गुण संधि
३) वृद्धि संधि
४) यण् संधि
५) अयादि संधि
Answer:
⚘ उत्तर :-
सूर्योदय:
- संधि का प्रकार - गुण संधि
- संधि - सूर्य+उदय
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⚘ अधिक जानकारी :-
संधि
” दो वर्णों के मेल से जो परिवर्तन या विकार होता है, उसे संधि कहते है। “
संधि के प्रकार
- ➲ स्वर संधि
- ➲ व्यंजन संधि
- ➲ विसर्ग संधि
⑴ स्वर संधि - जहाँ स्वर के बाद स्वर के आने से जो विकार उत्पन्न हो, वहाँ स्वर सन्धि होता है।
यह 5 प्रकार का होता है
- ➠ दीर्घ स्वर सन्धि
- ➠ गुण
- ➠ वृद्धि
- ➠ यण
- ➠ अयदि
❶ दीर्घ सन्धि –
नियम-यदि ह्रस्व या दीर्घ स्वर अ, इ, उ, ऋ/ल के बाद क्रमश: ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, ऋ/ल आएँ तो दोनों के मिलने से क्रमश: दीर्घ आ, ई, ऊ, औ, ऋ हो जाते हैं;
उदाहरण:
- ➠ सत्य + अर्थ = सत्यार्थ
- ➠ देव + आलय = देवालय
- ➠ गिरि + ईश = गिरीश
❷ गुण सन्धि –
नियम -यदि अ अथवा आ के पश्चात् ह्रस्व या दीर्घ इ, उ, ऋ एवं ल आ जाएँ तो उनके स्थान पर क्रमशः ए, ओ, अर् तथा अल् हो जाता है;
उदाहरण:
- ➠ तथा + इति = तथेति
- ➠ महा + उत्सव = महोत्सव
- ➠ सुर्य + उदय = सूर्योदय
❸ वृद्धि संधि
नियम -जब संधि करते समय जब अ , आ के साथ ए , ऐ हो तो ‘ ऐ ‘ बनता है और जब अ , आ के साथ ओ , औ हो तो ‘ औ ‘ बनता है।
उदाहरण:
- ➠ एक + एक : एकैक (अ + ए = ऐ)
- ➠ मत + एक्य : मतैक्य (अ + ए = ऐ)
- ➠ जल + ओघ : जलौघ (अ + ओ = औ)
❹ यण सन्धि –
नियम-यदि ह्रस्व या दीर्घ इ, उ, ऋ तथा लु के बाद कोई असमान स्वर आ जाए तो इ-ई का य्, उ-ऊ का व् और ऋ का र् तथा लु का ल हो जाता है। (जिस व्यंजन में ये स्वर संयुक्त होंगे वह इन स्वरों के निकल जाने पर हलन्त हो जाएगा);
उदाहरण:
- ➠ अति + आचार = अत्याचार
- ➠ सू + आगतम् = स्वागतम
- ➠ इति + आदि = इत्यादि
❺ अयादि सन्धि –
नियम-यदि ए, ओ, ऐ, औ के बाद कोई भी स्वर आए तो ए का अय्, ओ का अव, ऐ का आय तथा औ का आव् हो जाता है;
उदाहरण:
- ➠ भो + अन : भवन (ओ + अ =अव)
- ➠ पो + इत्र : पवित्र (ओ + इ = आव)
- ➠ ने + अन : नयन (ए + अ = अय)
⑵ व्यंजन संधि – जहां व्यंजन के बाद व्यंजन या स्वर के आ जाने से जो विकार उत्पन्न हो, उसे व्यन्जन सन्धि कहते हैं।
इसके निम्न नियम होते हैं।
- ➲ वर्ग के तीसरे वर्ण का नियम
- ➲ वर्ग के 5वे वर्ण का नियम
- ➲ त सम्बन्धी नियम
- ➲ छ सम्बन्धी नियम
- ➲ त संबंधी दूसरा नियम
- ➲ म् संबंधित नियम
- ➲ ष संबंधी नियम
⑶ विसर्ग संधि – विसर्ग से पहले या बाद मे ‘अ’ अथवा सभी वर्ग का 3, 4, 5वा वर्ण हो या फिर य, र, ल, व, ह मे से कोई हो तब, “ओ” का विसर्ग हो जाता है।
विसर्ग सन्धि के भी निम्न नियम हैं।
- ➲ र का विसर्ग नियम
- ➲ र् का विसर्ग
- ➲ र संबंधी दूसरा नियम
- ➲ श, ष, स का विसर्ग हो जाना
- ➲ संधि परिवर्तनहीन रहना
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