India Languages, asked by mrsachinkrpr2016, 6 hours ago

सूर्योदयात' पूर्वमेव बालिका तत्र उपस्थिता। * PLEASE TELL ME​

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Answered by gurungjharna72
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Answer:

द्वितीयः पाठः

स्वर्णकाकः

प्रस्तुत पाठ श्री पद्मशास्त्री द्वारा रचित“विश्वकथाशतकम्” नामक कथासंग्रह से लिया गया है, जिसमें विभिन्न देशों की सौ लोक कथाओं का संग्रह है। यह वर्मा देश की एक श्रेष्ठ कथा है, जिसमें लोभ और उसके दुष्परिणाम के साथ—साथ त्याग और उसके सुपरिणाम का वर्णन, एक सुनहले पंखों वाले कौवे के माध्यम से किया गया है।

पुरा कसिंमश्चिद् ग्रामे एका निर्धना वृद्धा स्त्री न्यवसत्। तस्याश्चैका दुहिता विनम्रा मनोहरा चासीत्। एकदा माता स्थाल्यां तण्डुलान्निक्षिप्य पुत्रीमादिदेश— सूर्यातपे तण्डुलान् खगेभ्यो रक्ष। 

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