सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के एक कविता संग्रह का नाम है राग-विराग
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इन पंक्तियों के योग्य थी केवल निराला की कविता जिसमें एक ओर राग-रंजित धरती है। रँग गई पग-पग धन्य धरा-तो दूसरी ओर विराग का अंधकारमय आकाश : है अमानिशा उगलता गगन घन अंधकार ! इस कविता-संग्रह का नाम है : राग-विराग। यह उन कविताओं का संग्रह है जिनमें जितना आनन्द का अमृत है, उतना ही वेदना का विष।
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