सुरबाला के रुठ जाने पर मनोहर ने उसे किस प्रकार मनाया?
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सुरबाला ने रेत की भाड़ के साथ कई भावनाएं जड़ी हुई थी परंतु जब मनोहर ने वह भाड़ तोड़ दिया तो उसकी भावनाएं को ठेस पहुँचा , लेकिन वह मौन रही क्योकि मनोहर उसका परम मित्र था । मनोहर को जब अपने किए पर पछतावा हुआ तो वह रोने लगा और यह देख सुरबाला भी पिघल गई और उसका क्रोध शांत हो गया ।
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सुरबाला के रुठ जाने पर मनोहर ने उसे किस प्रकार मनाया?
सुरबाला भाड़ बना रही थी जिसके साथ वह भावनाओं में विलीन थी लेकिन उसके मित्र मनोहर ने उसको लात मारकर तोड़ दिया जिससे वह अत्यधिक दुखी हो गई । वह क्रोधित हो गई जिससे उसके प्रसन्नता की छटा गायब हो गई परंतु वह मौन खड़ी रही क्योंकि मनोहर उसका परम मित्र है। जब मनोहर को अपने किए पर पछतावा हुआ तब वह रो पड़ा । यह देखकर सुरबाला का दिल पिघल गया और उसने मनोहर को माफ़ कर दिया।
आशा है यह आपकी सहायता करेगा...
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