२९)
सुरज बनकर कहां दौड़ लगाने का मन
कहता
Answers
Answered by
0
Answer:
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि सुरेन्द्र विक्रम ने एक बच्चे की भावनाओं का वर्णन किया है। बच्चे का मन बहुत चंचल है। अतः वह सूरज बनना चाहता है। जिससे वह आसमान में दौड़ लगा सके अर्थात सारे ब्रह्माण्ड की सैर करना चाहता है।
Similar questions
English,
2 months ago
CBSE BOARD X,
2 months ago
Math,
5 months ago
English,
5 months ago
English,
11 months ago