सूरज एक हमारा, जिसकी किरणें उसकी कली खिलातीं एक हमाराचाँद, चाँदनी | जिसकी हम सबको नहलाती | मिले एक से स्वर हमको हैं। | भ्रमरों के मीठे गुंजन से | हम सब सुमन ऍक उपवन के ।
1) इस कविता का रचयिता कौन हैं ?
2 ) कवितांश का आशय लिखें।
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सूरज एक हमारा, जिसकी
किरणें उसकी कली खिलातीं,
एक हमारा चांद चांदनी
जिसकी हम सबको नहलाती।
मिले एकसे स्वर हमको हैं,
भ्रमरों के मीठे गुंजन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
काँटों में मिलकर हम सबने
हँस हँस कर है जीना सीखा,
एक सूत्र में बंधकर हमने
हार गले का बनना सीखा।
सबके लिए सुगन्ध हमारी
हम श्रंगार धनी निर्धन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
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1) द्रवारिका प्रसाद माहेखरी
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