सूरज गोल कविता। Nursery rhymes
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surea gol chanda gol
dada ji ka chasma gol
dadi ma........ ki
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पूरब का दरवाजा खोल,
धीरे-धीरे सूरज गोल।
लाल रंग बिखराता है,
सूरज ऐसे आता है।
गाती हैं चिड़ियाँ सारी,
खिलती हैं कलियाँ क्यारी।
दिन सीढ़ी पर चढ़ता है,
ऐसे सूरज बढ़ता है।
लगते हैं कामों में सब,
सुस्ती कहीं न रहती तब
धरती गगन दमकता है।
गरमी कम हो जाती है,
धूप थकी-सी आती है।
ऐसे सूरज ढलता है।
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