सूरज के ऊपर काव्य पंक्ति
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1.दहक उठी ये धरा, प्रगट हुए जब दिनकर
कड़ी धुप ने बजाया बिगुल, झुलस गया कण कण
बरस रहे हो शोले जैसे, अग्निपिंड सा होता प्रतीत,
बेईन्तहा जुल्म कर रहो जैसे, सूरज की ये बेरहमी,
दहक उठी ये धरा, प्रगट हुए जब दिनकर
2.सबसे तेज वाला
आग का एक बड़ा गोला है
इससे जन जीवन है
वरना धरती बर्फ का गोला है
इस से मिलती है ऊर्जा
इस से मिलती है प्रेरणा
इसको मानते हैं देवता
इसकी होती है अर्चना
हमारे शौर मंडल का सबसे बड़ा तारा
हाँ, ये तो है सूरज हमारा
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