Hindi, asked by parvbanthia2705, 1 month ago

सुरसेन प्रदेश में चित्रकेतु नामक राजा थे। उनकी अनेक रानिया थी ओ मां किंतु कोई संतान नहीं थी ।एक दिन महा ऋषि अंगिरा राजभवन में पधारे। नरेश को संतान के लिए लालायित देख उन्होंने एक यज्ञ कराया पर जाते समय कहा महाराज आप पिता बनेंगे किंतु आप का पुत्र आपके हर्ष और शोक दोनों का कारण बनेगा। राजा को पुत्र प्राप्ति हुई । Raja राजा पुत्र के स्नेह वशबड़ी रानी के भवन में अधिक समय बिताने लगे। फतेह यह हुआ कि दूसरी रानियां उड़ने लगी। उनकी ईर्ष्या इतनी बड़ी कि उन्होंने उस अबोध शिशु को विष दे दिया। बालक मर गया। राजा विलाप करने लगे पर विराम तभी वहां देव ऋषि नारद पधारे। चित्रकेतु शोक में मग्न थे। देव ऋषि ने टाल दिया कि उनका मुंह ऐसे दूर नहीं होगा और मेरा उन्होंने अपने दिव्य शक्ति के बल पर बालक की जीवात्मा को आमंत्रित किया और मेरा जीवात्मा के आ जाने पर उन्होंने कहा," देखो यह तुम्हारे माता-पिता है; अत्यंत दुखी हो रहे हैं, तुम अपने शरीर में फिर प्रवेश करके इन्हें सुखी करो; और राज्य सुख भोगो।" उस जीवात्मा ने कहा," देव ऋषि, " यह मेरे किसी जन्म के माता-पिता हैं, जीव का तो कोई माता-पिता या कोई भाई बंधु है ही नहीं; यह सब संबंध तो शरीर के हैं ।शरीर टूटने के साथ ही सब संबंध टूट जाते हैं। "राजा चित्रकेतु काम हो उसकी बातों को सुनकर नष्ट हो चुका था।
1-राजा चित्रकेतु के जीवन में क्या भाव था? *
धन का
पत्नी नहीं थी।
संतान का अभाव था।
शांति का भाव था।
2- जाने से पूर्व महा ऋषि ने राजा को बताया कि उसका पुत्र -
हर्ष का कारण बनेगा।
शोक का कारण बनेगा
हर्ष और शोक दोनों का कारण बनेगा।
राज वृद्धि का कारण बनेगा।
3- बालक की मृत्यु का क्या कारण था ? *
गंभीर बीमारी थीl
रानियों की ईर्ष्या थीl
स्नेह का अभाव थाl
स्वाभाविक मृत्यु थी।
4- नरेश जी के प्रसंग का उद्देश्य है - *
चित्रकेतु का मोह नष्ट करना ।
मृतक पुत्र को पुनर्जीवित करना।
महारानी के दुख को दूर करना।
ईश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाना।
5- इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है - *
चित्रकेतु की मोह मुक्ति।
नारद का मोह।
नारद की चालाकी।
रानियों की ईर्ष्या।

Answers

Answered by himanshumsvm
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Answer:

1 संतान का

2 हर्ष और शोक दोनो का

3 रानियों की eyirsha

4 chrikut ka moh nast karna

5 chirkut ki moh mukti

Answered by jashodameena1984
0

Answer:

1. संतान का अभाव था।

2. हर्ष और शोक दोनों का कारण बनेगा

3. रानियों की ईर्ष्या थी

4. चित्रकेतु का मोह नष्ट करना

5. चित्रकेतु की मोह मुक्ति।

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