सूरदास छेरी ( बकरी ) दुहने की जरूरत क्यों नहीं समजतें ? कक्षा 9 पाठ 7 सूरदास के पद
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मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै।
जैसे उड़ि जहाज़ की पंछी, फिरि जहाज़ पै आवै॥
कमल-नैन को छाँड़ि महातम, और देव को ध्यावै।
परम गंग को छाँड़ि पियासो, दुरमति कूप खनावै॥
जिहिं मधुकर अंबुज-रस चाख्यो, क्यों करील-फल भाव।
'सूरदास' प्रभु कामधेनु तजि, छेरी कौन दुहावै॥
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ડડડડાબૃસદસજહજહછહહછહછડદગદ
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