सूरदास जी अंधे थे फिर किस प्रकार व्यक्त कृष्ण जी के बचपन का एहसास उसमें वर्णन कर पाए विवेचना कीजिए
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Answer:
इस प्रश्न का उत्तर तर्क सहित दिया जा सकता है सूरदास जी बचपन से ही अंधे थे फिर भी उन्होंने कृष्ण भक्ति में अनेकों प्रकार से कृष्ण जी की खूब सुंदर रचना और उनका वर्णन किए हैं जिसके कारण सूरदास को एक कवि की उपाधि मिली सूरदास कृष्ण की हुआ हर छोटी से छोटी बात का जिक्र अपने पदों में किए हुए हैं वह एक बहुत बड़े संत कवि थे उन्होंने अपनी भक्ति का साधन अपनी रचनाओं का आकर्षण संगीत और पदों के माध्यम से समाज में व्यक्त किए।
Answer:
सूरदास भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रणाम करते हैं। श्रीकृष्ण के वैभव का वर्णन करते हुए उनका दावा है कि नेत्रहीन और शारीरिक रूप से अक्षम अन्य लोग उनकी कृपा से सब कुछ देख सकते हैं।
Explanation:
सूरदास जी
मूक व्यक्ति बोलना शुरू करता है, और बहरा व्यक्ति सुनना शुरू करता है। निराश्रित व्यक्ति राजा के समान धनवान हो जाता है। यह सब श्री कृष्ण के चरणों की महिमा है, इसलिए लोग उनका सम्मान करते हैं।
चूँकि उन्होंने अपने कार्यों में नियोजित करने के लिए वात्सल्य के वर्चस्व वाले शब्दों को सावधानी से चुना है, इसलिए सूरदास जी को वात्सल्य रस के सम्राट के रूप में जाना जाता है। उन्होंने यशोदा और कृष्ण के बीच साझा किए गए प्रेम और आराधना के अपने उत्कृष्ट विवरण से कई दिलों को छुआ है। उन्होंने शांत रस और अलंकरण को काफी सावधानी से नियोजित किया है।
हिन्दी साहित्य में सूरदास का विशिष्ट स्थान है। उन्हें कृष्ण को समर्पित रचनाएँ लिखने के लिए जाना जाता है। उन्हें एक ऐसे कवि के रूप में माना जाता है जो सूर्य की तरह हिंदी साहित्य को प्रकाशित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि वे अंधे पैदा हुए थे, फिर भी उन्होंने ऐसी रचनाएँ लिखीं जो उत्तम धार्मिक रस से भरपूर हैं।
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