सूरदास की झोपड़ी कहानी में सूरदास को उसके अच्छे पन की क्या सजा मिली
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यह कथन नायकराम ने कहा था। इस कथन में निहित भाव इस प्रकार है कि सूरदास के जल रहे घर से उसके शत्रुओं को प्रसन्नता हो रही होगी।जगधर के पूछने पर की आज चूल्हा ठंडा नहीं किया था? इसके उत्तर में नायकराम ने यह उत्तर दिया था कि चूल्हा ठंडा किया होता, तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता। नायकराम कहना चाहता है कि इस घटना से उसके शुत्रओं को प्रसन्न होने का अवसर मिल रहा है। लोगों ने यह सोचा कि सूरदास के चूल्हे में जो अंगारे बचे थे, उनकी हवा से शायद यह आग लगी थी। परन्तु सच यह नहीं था। भैरों ने सूरदास के झोपड़े में जान बूझकर आग लगाई थी। नायकराम जानता था कि आग चूल्हे की वजह से नहीं लगी है। किसी ने लगाई है।
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