सूरदास की झोपड़ी summary
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सूरदास की झोंपड़ी प्रेमचंद के उपन्यास रंगभूमि का एक अंश है। एक दृष्टिहीन व्यक्ति जितना बेबस और लाचार जीवन जीने को अभिशप्त होता है, सूरदास का चरित्र ठीक इसके विपरीत है। सूरदास अपनी परिस्थितियों से जितना दुखी व आहत है उससे कहीं अधिक आहत है भैरों और जगधर द्वारा किए जा रहे अपमान से, उनकी ईर्ष्या से।
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सूरदास की झोंपड़ी प्रेमचंद के उपन्यास रंगभूमि का एक अंश है। ... भैरों की पत्नी सुभागी भैरों की मार के डर से सूरदास की झोंपड़ी में छिप जाती है और सुभागी को मारने भैरों सूरदास की झोपड़ी में घुस जाता है, किंतु सूरदास के हस्तक्षेप से वह उसे मार नहीं पाता। इस घटना को लेकर पूरे मुहल्ले में सूरदास की बदनामी होती है।
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