सूरदास की कविता मे अभिवक्त वात्सलप पक्ष सोदाहरण किजिए
Answers
सूरदास जी को हिंदी कवियों के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक माना गया है और इनको वातसल्य रस का एक बहुत बड़ा सम्राट भी माना गया है क्योंकि इन्होंने श्रृंगार और अपने शांत रसों का एक बहुत ही प्यारा , बड़ा सुन्दर और ममस्पर्शी करने वाला जिसको कहा जाता है ऐसा वर्णन अपनी कविताओं में प्रस्तुत किया है |
उन्होंने कृष्ण भगवान की बाल लीलाओं को इतने अद्भुत अंदाजे से प्रस्तुत किया है कि उनकी आंतरिक आंखें ही जिसको देख पाती हैं इतना सुंदर इतना व्यापक इतना यथार्थ और इतना मोहक रूप देखने को मिलता है जितना कि कोई भी उसे अपनी आंखों से देखें तभी उसे नहीं दिखेगा सूरदास ने अपने वात्सल्य का एक बहुत ही सुंदर वर्णन करते हुए अधिक दिल से भाव विभोर होते हुए बालकिशन की लीलाओं का वर्णन किया है कि कि कोई भी संसार में ऐसी कोई और सुंदरता उनके लिए बची नहीं रह पाती है |
सूरदास जी का वात्सल्य बहुत ही भाव विभोर है पहला है संयोग वातसल्य
और दूसरा है वियोग वात्सल्य |
संयोग वात्सल्य मैं उन्होंने भगवान कृष्ण के जन्म लेने के बाद के दर्शन को दिखाया है इसमें उन्होंने उनके जन्मदिन और बचपन की लीलाओ पर एक बहुत ही सुंदर स्वाभाविक चित्र को दर्शाया था
वियोग वात्सल्य में उन्होंने एक दिल को स्पर्श करने का वर्णन किया है जिसमें कोई भी अगर जीवित प्राणी है भगवान के बिना नहीं रह सकता जैसे कि उनकी मां यशोदा ने कभी कल्पना भी नहीं कर सकती कि मैं बिना कृष्ण के ब्रज में रहे