सूरदास के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण
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- सूरदास को हिंदी साहित्य का सूरज कहा जाता है। वे अपनी कृति “सूरसागर” के लिये प्रसिद्ध है। कहा जाता है की उनकी इस कृति में लगभग 100000 गीत है, जिनमे से आज केवल 8000 ही बचे है।
- उनके जीवनकाल से संबंधित कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिलते। उनके पिता रामदास गायक थे। उनके गुरु का नाम पर श्री वल्लभाचार्य था।
- 'नागरी प्रचारिणी सभा' द्वारा प्रकाशित हस्तलिखित पुस्तकों की विवरण तालिका में सूरदास के 16 ग्रन्थों का उल्लेख है। इनमें 'सूरसागर', 'सूरसारावली', 'साहित्य लहरी', 'नल-दमयन्ती' और 'ब्याहलो' के अतिरिक्त 'दशमस्कंध टीका', 'नागलीला', 'भागवत्', 'गोवर्धन लीला', 'सूरपचीसी', 'सूरसागर सार', 'प्राणप्यारी' आदि ग्रन्थ सम्मिलित हैं।
- ब्रज भाषा में रचना करने वाले कवियों में से एक महत्वपूर्ण कवि हैं भक्त-कवि सूरदास जिनके काव्य में श्रृंगार और वात्सल्य रस की प्रचुरता देखने को मिलती है। पेश है कुछ ऐसे ही चुनिंदा वात्सल्यपूर्ण पद जिनमें आपको ब्रज भाषा की मिठास महसूस होगी।
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