) सूरदास के प्रथम पद का भावार्थ लिखें।
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मैया, कबहिं बढ़ैगी चोटी?
किती बार मोहिं दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।
तू जो कहति बल बेनी ज्यौं, ह्वै है लाँबी मोटी।
काढ़त गुहत न्हवावत जैहै, नागिनी सू भुइँ लोटी।
काँचौ दूध पियावत पचि पचि, देति न माखन रोटी।
सूरज चिरजीवौ दौ भैया, हरि हलधर की जोटी।
कविता का सारांश =
प्रथम पद में सूरदास जी श्रीकृष्ण के बालपन के एक किस्से के बारे में बता रहे हैं। जब यशोदा माँ कान्हा को दूध पिलाने के लिए ये कह देती हैं कि इससे उनकी चोटी बलराम जितनी लंबी और मोटी हो जाएगी। मगर काफी दिन दूध पीने के बाद भी कान्हा को अपनी चोटी छोटी ही दिखती है। तब वो यशोदा माँ से इस बारे में पूछने लगते हैं।
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